चुम्बकीय हिस्टैरिसीस (शैथिल्य) क्या होता है? परिभाषा और अर्थ | हिस्टैरिसीस हानि और लूप

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चुम्बकीय शैथिल्य या हिस्टैरिसीस

हिस्टैरिसीस का क्या अर्थ है? (Hysteresis in Hindi)— चुम्बकीय पदार्थ के लिए B और H के बीच एक ग्राफिकल संबंध पर विचार करें। चूंकि μ=B.H इसलिए ग्राफिकल संबंध से ज्ञात होता है कि पदार्थ की चुम्बकशीलता H से किस प्रकार परिवर्तित होती है।
Magnetic Hysteresis In Hindi
Magnetism Hysteresis In Hindi

H=N.I/L से देखें तो पता चलता है कि धारा के मान बढ़ाने से चुम्बकीय तीव्रता (μ) में बढ़ोतरी हो रही है तथा μ=B/H यानि H समानुपाती B से पता चलता है कि चुम्बकीय तीव्रता में बढ़ोतरी के साथ चुंबकीय फ्लक्स घनत्व में भी बढ़ोतरी हो रही है यानी हमारा पदार्थ क्या इसी अनुपात में चुंबकत्व धारण करता है? इसका जवाब है नहीं। क्योंकि एक समय बाद संतृप्ता आ जाती है जिसके बाद पदार्थ चुम्बक बनना बन्द कर देता है यानी B, H से पीछे (लैगिंग/Lagging) होने लगता है।
चुम्बकीय बल के द्वारा किए गए प्रयासों से पदार्थ का चुंबकत्व पीछे रह जाता है यानी हमने जितना बल लगाया पदार्थ को चुम्बकित करने के लिए वास्तव में पदार्थ उतना चुम्बकित नहीं होता है वह थोड़ा सा पीछे रह जाता है इसी क्रिया को हिस्टैरिसीस कहा जाता है।
प्रारम्भ में कोर अचुम्बकित रहता है तथा आरोपित चुम्बकीय बल भी शून्य होता है और पदार्थ का चुम्बकिय फ्लक्स घनत्व भी शून्य होता है।
जैसे ही चुम्बकीय बल बढ़ाते हैं तो उसी अनुपात में चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व बढ़ता जाता है लेकिन ऐसी स्थिति आती है जिसमें आरोपित चुम्बकीय तीव्रता या बल के मान में बहुत अधिक वृद्धि होती है तथा चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व के मान में बहुत कम वृद्धि होती है। फिर एक स्थिति ऐसी आती है कि चुम्बकीय तीव्रता बढ़ाने पर भी चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व के मान में वृद्धि होना बंद हो जाता है अतः इस स्थिति में पदार्थ पूर्णतः संतृप्ता स्थिति को प्राप्त कर लेता है।
अब हमने चुम्बकीय बल हटाना शुरू किया और शून्य पर ले आए परन्तु चुम्बकीय बल हटने के साथ पूर्णतः चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व का मान शून्य नहीं होता है पदार्थ में कुछ चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व चुंबकत्व रह जाता है जिसे अवशिष्ट चुंबकत्व कहते हैं। यह अवशिष्ट चुंबकत्व पदार्थ की धारणा क्षमता (Retentivity/रिटेंटिविटी) के अनुसार होता है पदार्थ की धारण क्षमता अधिक होगी तो अवशिष्ट चुंबकत्व उतना ही अधिक होगा।
अब हमने पदार्थ में धारा की दिशा बदल दी तो आरोपित बल (चुम्बकीय तीव्रता) की दिशा भी बदल जाएगी यानी अब प्रति चुम्बकन बल लगना शुरू हो गया प्रति चुम्बकन बल लगने के बाद भी चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व का मान शून्य नहीं हुआ इस प्रति चुम्बकन बल को ही निग्रहिता (Coercive Force) कहते हैं, जिसकी मदद से हम अवशिष्ट चुंबकत्व खत्म करते हैं।
प्रतिचुम्बकन बल या निग्रहित बल (Coercive Force) के मान को बढ़ाने के साथ चुम्बकन फ्लक्स घनत्व का मान भी रैखिक रूप से कम होता है, परन्तु संतृप्ता की स्थिति आने के बाद घटना कम हो जाता है। जैसे ही आरोपित चुम्बकीय बल का मान घटाकर शून्य कर देते हैं तो भी पदार्थ का चुंबकत्व शून्य स्थिति में नहीं आता है कुछ न कुछ अवशिष्ट चुंबकत्व फिर भी रह जाता है।
आरोपित चुम्बकीय बल का मान धनात्मक (Positive/पॉजिटिव) स्थिति में करने के बाद बढ़ाया लेकिन पदार्थ के चुंबकत्व में थोड़ी देर तक कोई वृद्धि नहीं हुई क्योंकि बचे हुए अवशिष्ट चुंबकत्व चुंबकत्व को समाप्त करने के लिए निग्रहिता बल ने कुछ देर तक काम किया फिर वापस चुम्बकीय बल के मान में वृद्धि करने के बाद चुंबकत्व में वृद्धि होती है तथा संतृप्ता की स्थिति आने के बाद चुंबकत्व फ्लक्स घनत्व में कोई वृद्धि नहीं होती है और प्रक्रिया दोबारा शुरू हो जाती है और उपरोक्त प्रक्रिया दोबारा शुरू हो जाती है यही पूरी प्रक्रिया हिस्टैरिसीस कहलाती है।

चुम्बकीय हिस्टैरिसीस (शैथिल्य) वक्र क्या है?— चुम्बकीय हिस्टैरिसीस के ग्राफ का विवरण नीचे दिया गया है।
Hysteresis Loop Kya Hota Hai In Hindi
Hysteresis Loop

  • O से A— आरोपित चुम्बकीय बल में जितनी वृद्धि होती है, रैखिक रूप से या समानुपातिक रूप से चुंबकत्व फ्लक्स घनत्व में भी वृद्धि होती है।
  • A से B— चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता में बढ़ोतरी के साथ चुंबकत्व फ्लक्स घनत्व में कम बढ़ोतरी होती है।
  • B से C— चुम्बकीय बल के मान बढ़ाने के बाद भी चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व के मान में कोई वृद्धि नहीं होगी ऐसी स्थिति संतृप्त क्षेत्र कहलाती है।
  • O से D— यह स्थिति अवशिष्ट चुंबकत्व कहलाती है यह पदार्थ की धारण क्षमता पर निर्भर करेगा कि उसमें कितना अवशिष्ट चुंबकत्व रहेगा।
  • O से E— यह स्थिति निग्राहिता बल कहलाती है जिसमें अवशिष्ट चुंबकत्व को खत्म किया गया।

चुम्बकीय शैथिल्य (हिस्टैरिसीस) वक्र या पाश या B.H वक्र (Hysteresis Loop)— B.H को मिलाने से एक बंद लूप मिलता है। जिसे B.H वक्र कहते हैं। पदार्थ में जितना छोटा B.H वक्र होगा पदार्थ में उतना ही कम हिस्टैरिसीस क्षति होगी।
"धारा में कमी और इसके पश्चात दिशा का उत्क्रमण एक बंद चित्र उत्पन्न करता है। जिसे B.H वक्र अथवा हिस्टैरिसीस पाश कहते है। यह नाम ग्रीक भाषा के शब्द हेस्टीरोज से बना है जिसका अर्थ होता है पीछे रह जाना। अर्थात फ्लक्स घनत्व की स्थिति चुम्बकन तीव्रता द्वारा किए गए प्रयासों के सदैव पीछे रह जाती है।

हिस्टेरिसिस क्षति क्या होती है? (Hysteresis Loss in Hindi)— निग्राहिता बल अवशिष्ट चुंबकत्व को खत्म करने में एक बल लगाता है। यह बल ऊष्मा के रूप में जूल में ऊर्जा खपत करवाता है। यही हिस्टैरिसीस हानि कहलाती हैं। B.H की आकृति पदार्थ के चुम्बकीय गुणों का संकेत करता है और हिस्ट्रेसिस लूप की आकृति लोहा या स्टील की आकृति पर निर्भर करती है।

प्रश्न– हिस्टैरिसीस पाश (लूप) ग्रीक भाषा के किस शब्द से बना है?
(A) हेरिटेज
(B) लूप
(C) हेस्टीरोज
(D) इनमे से कोई नहीं

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1 Comments

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  1. Very informative.
    Technical helper ka exam kab tak hoga?

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