ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन | Open System Interconnection In Hindi | OSI Model क्या होता है? | OSI मॉडल

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ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन

ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन विभिन्न कंप्यूटर को लिंक करने के लिए स्टैंडर्ड को परिभाषित करता है।
ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन या OSI मॉडल की सहायता से दो विषमांग अर्थात अलग–अलग कंप्यूटर्स को दुनिया के किसी भी कोने से एक दूसरे से सम्पर्क स्थापित कर सकते है। OSI सिस्टम के द्वारा एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में सम्पर्क स्थापित किया जाता है।
OSI Model
OSI Model
ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन या OSI मॉडल क्या होता है? (OSI Modal Kya Hota Hai)— ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन या ओएसआई मॉडल (OSI model) 7 परतों वाला आर्किटेक्चर (architecture) होता है तथा प्रत्येक लेयर हेतु अलग–अलग प्रोटोकॉल होते है इसलिए प्रत्येक लेयर का कार्य अलग–अलग होता है। ISO–OSI मॉडल एक परतों वाला मॉडल (layered modal) है। आधुनिक कंप्यूटर नेटवर्क मॉड्यूलर (modular) या स्ट्रक्चर्ड (structured) रूप में डिजाइन किए जाते है जिससे सिस्टम की हैंडलिंग आसानी से तथा दक्षता पूर्वक हो सके इसके लिए सिस्टम को मॉड्यूल्स (modules/छोटे छोटे भागों में) स्प्लीट (split) किया जाता है जिसे लेयर्स या लेवल्स (layers or levels) कहा जाता है। प्रत्येक लेयर अपने से उच्च लेयर को सेवा प्रदान करता है तथा प्रत्येक लेयर की अपनी प्रोटोकाल्स (protocals) होती है। किसी मशीन का कोई लेयर दूसरी मशीन के उसी लेयर से सम्पर्क स्थापित कर सकता है।
ओएसआई मॉडल (osi modal) में 7 परत होती है जिनका वर्णन नीचे विस्तार में किया गया है।
osi model layer
OSI Model Layer

1. फिजिकल लेयर (Physical Layer)— फिजिकल लेयर OSI मॉडल का निचला परत (lowest layer) होता है। इस लेयर के द्वारा फिजिकल संयोजन (physical connection) को स्थापित, मरम्मत (maintain) और डिस्कनेक्ट (disconnect) सम्बन्धित कार्य किया जाता है। अतः फिजिकल परत बिट्स के ट्रांसमिशन हेतु फिजिकल कनेक्शन को एक्टिवेट (activate), मेंटेन (maintain) तथा डीएक्टिवेट (deactivate) करने हेतु मैकेनिकल, विद्युत प्रोसीजरल (procedural), तथा फंक्शनल (functional) गुण प्रदान करता है। जैसे– डाटा ट्रांसमिशन हेतु कनैक्टर (connector) को मॉडेम से किस प्रकार कनैक्टर किया जाना है। (मैकेनिकल aspect/एस्पेक्ट), वोल्टेज स्तर क्या होना चाहिए (विद्युत aspect/एस्पेक्ट), प्रत्येक पिन का फंक्शन (function) क्या होगा (functional aspect/एस्पेक्ट), तथा डाटा ट्रांसमिशन हेतु घटना क्रम (sequence of event) का निर्धारण करना इत्यादि।
डाटा का वास्तविक ट्रांसमिशन फिजिकल लेयर द्वारा ही किया जा सकता है। नेटवर्क की फिजिकल लेयर के मध्य ही फिजिकल कनेक्शन होता है। osi की शेष लेयर के मध्य केवल आभाषी कनेक्शन होता है।

2. डाटा लिंक लेयर (Data Link Layer)— डाटा लिंक लेयर कंप्यूटर्स के मध्य त्रुटि विहीन ट्रांसमिशन (error free transmission) पथ स्थापित करता है। इसके लिए डाटा को फ्रेम्स (frames) में बाटा जाता है तथा पैरिटी बिट्स जोड़ी जाती है जिससे की बिना त्रुटि के डाटा का ट्रांसमिशन सम्भव हो सके।
3. नेटवर्क लेयर (Network Layer)— नेटवर्क लेयर सोर्स तथा डेस्टिनेशन (destination) कंप्यूटर के मध्य लॉजिकल पथ (logical path) बनाता है। इसकी सहायता से सोर्स से डेस्टिनेशन को डाटा पैकेट्स ट्रांसमिट किए जाते है।

4. ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport Layer)— ट्रांसपोर्ट लेयर डाटा के विश्वसनीय तथा क्रमिक ट्रांसफर हेतु कन्ट्रोल (control) प्रदान करता है। यह डाटा के प्रवाह को कन्ट्रोल करता है। ताकि एक फास्ट सेंडर (fast sender) तथा एक स्लो रिसीवर (slow recevier) के मध्य सन्तुलन बन सके।

5. सैशन लेयर (Session Layer)— सैशन लेयर दो कंप्यूटर्स के मध्य सैशन अर्थात (बातचीत या डायलॉग) को स्थापित करने, बनाए रखने तथा समाप्त करने हेतु व्यवस्था करता है। सैशन लेयर सूचना प्रवाह की दिशा को भी रेगुलेट करता है।

6. प्रेजेंटेशन लेयर (Presentation Layer)— प्रेजेंटेशन लेयर एनकोडेड डाटा को डिस्प्लेबल रूप (displayable form) में बदलने हेतु सुविधा प्रदान करता है ताकि इसको वीडियो टर्मिनल पर डिस्प्ले (display) किया जा सके या प्रिंटर पर प्रिंट किया जा सके। यह मैसेज (message) का टेक्स्ट कंप्रेशन (text compression), कोड कनवर्जन (code conversion), सिक्योरिटी एनक्रिप्शन (security encryption) इत्यादि भी करता है।

7. एप्लीकेशन लेयर (Application Layer)— एप्लीकेशन लेयर एक यूजर ओरिएंटेड लेयर (user oriented layer) होता है। जो नेटवर्क के यूजर को डायरेक्टली सपोर्ट (directly support) करता है। यह लेयर वह सभी सेवाएं प्रदान करता है जो की यूजर द्वारा डायरेक्टली प्रयोग (directly use) की जा सकती है। जैसे– इलेक्ट्रॉनिक मेल (electronic mail), डायरेक्टरी सर्विस (directory service), फाइल ट्रांसफर (file transfer), टेलीमैटिक सर्विस (वीडियो टैक्स) इत्यादि।

OSI मॉडल का पूरा नाम क्या होता है?— OSI मॉडल का पूरा नाम ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन (Open System Interconnection) होता है।

प्रश्न— OSI मॉडल में कितनी परते होती है?
(A) 6 परत
(B) 7 परत
(C) 4 परत
(D) 8 परत
उत्तर— 7 परत

ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन या OSI मॉडल हिन्दी में (OSI Model In Hindi)— ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन या OSI मॉडल के बारे में यह आर्टिकल आप लोगो को कैसा लगा इसके बारे में हमे कमेंट करके जरूर बताएं तथा इस आर्टिकल से सम्बन्धित अगर आप का कोई सुझाव हो तो कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके जरूर बताएं तथा इसी तरह के इलेक्ट्रॉनिक और आईटीआई इलेक्ट्रिशियन से सम्बन्धित नोट्स व आर्टिकल के लिए इस ब्लॉग वेबसाइट को जरूर फॉलो करे। क्योंकि इस ब्लॉग पर आईटीआई इलेक्ट्रिशियन के नोट्स व बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर पब्लिश किए जाते है। 

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