पृथक उत्तेजित जनरेटर | Sepretly Excited DC Generator Working Principle

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पृथक उत्तेजित जनरेटर क्या होता है? (Sepretly Excited Generator Kya Hai):— पृथक उत्तेजित जनरेटर को एक्साइट करने के लिए एक अलग से एक्साइटेशन सप्लाई (excitation supply) की जरूरत पड़ती है। इस जनरेटर में एक अलग से एक्साइटेशन वाइंडिंग (excitation winding) लगी हुई होती है जिसे अलग से डीसी सप्लाई दिया जाता है। इस प्रकार के जनरेटर में residual magnetism ना होने के कारण इसे अलग से एक्साइटेशन सप्लाई के द्वारा एक्साइट किया जाता है।
Working Principle Of Sepretly Excited DC Generator In Hindi
Sepretly Excited DC Generator Construction

पृथक उत्तेजित जनरेटर (Sepretly Excited Generator In Hindi):— पृथक उत्तेजित जनरेटर में फील्ड और आर्मेचर के बीच कोई संयोजन नहीं होता है। फील्ड वाइंडिंग को बाहरी डीसी स्रोत से उत्तेजित किया जाता है, स्रोत के रूप में बैटरी, डायनमो और रेक्टिफाइड डीसी का उपयोग किया जाता है। इस जनरेटर के फील्ड और आर्मेचर विद्युत चुंबकीय रूप से जुड़े होते हैं।

पृथक उत्तेजित जनरेटर की कार्यप्रणाली (Sepretly Excited Generator Working Principle In Hindi):— पृथक उत्तेजित जनरेटर का आर्मेचर प्राइम मूवर द्वारा एक स्थिर गति से रोटेट (rotate) करता है, इसलिए आउटपुट में वोल्टेज मान को कम या अधिक करने के लिए फील्ड फ्लक्स को परिवर्तित करते हैं।
Sepretly Excited Generator Ka Chitra

पृथक उत्तेजित जनरेटर एक मात्र ऐसा डीसी जनरेटर (dc generator) है जिसके फील्ड में अवशिष्ट चुंबकत्व न हो फिर भी वोल्टेज बनाने में सक्षम होता है। लेकिन इसकी फील्ड कोर (field core) कास्ट आयरन (cost iron) की होने की वजह से इसमें अवशिष्ट चुंबकत्व रहता है जिसकी वजह से इसका ग्राफ थोड़ा ऊपर से ही बनता है।
इस जनरेटर में जब आर्मेचर प्राइम मूवर की मदद से घूम रहा होता हैं और फील्ड को डीसी सप्लाई (dc supply) से नहीं जोड़ा गया होता है तो भी वोल्टमीटर 2–5% वोल्टेज दिखाता है, क्योंकि फील्ड में कुछ अवशिष्ट चुंबकत्व होता है जिसकी वजह से यह वोल्टेज बनता है इसे अवशिष्ट चुंबकत्व वोल्टेज (residual magnetism voltage) कहते हैं।
प्रारंभ में रियोस्टेट (rehostate) को अधिकतम (maximum) पर रखा जाता है। और डीसी देने के बाद (फील्ड को) rehostate का मान कम कर दिया जाता है जिससे फिल्ड में करंट का मान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है जिससे फ्लक्स का मान भी धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और जनरेटर में वोल्टेज का मान भी बढ़ने लगता है जैसे ही अपेक्षित (निर्धारित) वोल्टेज मिलने लगती है वैसे ही दोनों स्विच क्लोज कर दिया जाता हैं। जिससे वोल्टमीटर में मान प्रारंभ से कम वोल्टेज दर्शाने लगता है इसके दो कारण हैं एक तो आर्मेचर रिएक्शन जो मेन फील्ड फ्लक्स को थोड़ा विक्षेपित करेगा जिससे कम वोल्टेज हो जाएगा और दूसरा वोल्टेज ड्रॉप।

स्विच क्लोज करने के बाद एमीटर रीडिंग दर्शाना शुरू कर देता है चुकी आर्मेचर और लोड प्रतिरोध दोनों सीरीज में लगे हैं अतः आर्मेचर करंट और लोड करंट दोनों में बहने वाली धारा का मान समान होता है।
Ia= IL या IL= P/Vt

इस जनरेटर की फील्ड करंट (Ish) फील्ड को मिलने वाली डीसी वोल्टेज तथा फील्ड प्रतिरोध के अनुपात के बराबर होगी।
Ish= Vsh/Rsh

पृथक उत्तेजित जनरेटर की मुख्य विशेषता यह होती है कि स्व: उत्तेजित डीसी सीरीज, डीसी शंट, डीसी कंपाउंड जनरेटर की तुलना में सेपरेटली एक्साइटेड जनरेटर (sepretly excited generator) में वोल्टेज परिवर्तन अधिक आसान होता है अतः इस जनरेटर से मनचाहा वोल्टेज प्राप्त किया जा सकता हैं।

पृथक उत्तेजित जनरेटर का वक्र (Curve Of Sepretly Excited Generator):— पृथक उत्तेजित जनरेटर का वक्र विशेषता 2 प्रकार का होता है।
(i) चुम्बकीय विशेषता
(ii) लोड विशेषता

(i) चुम्बकीय विशेषता या ओपन सर्किट विशेषता (Magnetic Charasterstic or Open Circuit Charasterstic):— चुम्बकीय विशेषता वक्र को ओपन सर्किट विशेषता वक्र भी कहा जाता है।
यह वक्र फील्ड करंट (If) तथा उत्पन्न ईएमएफ (E) के बीच या फील्ड फ्लक्स (Φf) तथा उत्पन्न ईएमएफ (E) के बीच बनता है।
Magnetic Charasterstic or Open Circuit Charasterstic
Sepretly Excited Generator Magnetic Charasterstic
  • O से A= अवशिष्ट चुंबकत्व वोल्टेज
  • A–B= रैखिक क्षेत्र (E∝ Ip)
  • B–C= नी प्वाइंट (knee point) इसे प्री सैचुरेशन बिन्दु (pre saturation point) भी कहां जाता हैं। जहां आईएफ (If) के साथ E परिवर्तित होता है, परंतु रैखिक रूप से परिवर्तित नहीं होता है।
  • C–D= यह संतृप्त क्षेत्र है, जहां आईएफ (If) में परिवर्तन करने पर भी E में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
नोट:— चुम्बकीय विशेषता वक्र डीसी सीरीज, डीसी शंट और डीसी कंपाउंड तीनों में एक समान बनता है।

(ii) लोड विशेषता वक्र (External Charcteristic):— लोड विशेषता वक्र टर्मिनल वोल्टेज (Vt) तथा लोड करंट (IL) के बीच बनता है।
नो लोड पर E= Vt और लोड पर E> Vt
External Charcteristic Of Sepretly Excited
Sepretly Excited Generator External Charcteristic

नोट:— डीसी सीरीज, डीसी शंट, डीसी कंपाउंड और सेपरेटली एक्साइटिड जनरेटर का लोड विशेषता वक्र एक समान बनता है।

  • नो लोड पर E= Vt होता है परंतु लोड जुड़ते ही E> Vt
टर्मिनल वोल्टेज कम होने के दो कारण है।
(A) आर्मेचर वोल्टेज ड्रॉप (प्रत्यक्ष ड्रॉप)
(B) आर्मेचर रिएक्शन (अप्रत्यक्ष ड्रॉप)

(i) माना पहले जनरेटर 250 वोल्टेज बना रहा था जब लोड को जोड़ दिया गया तो आर्मेचर प्रतिरोध के कारण करंट से कुछ वोल्टेज (माना 10 वोल्टेज) ड्रॉप हो गया।
(ii) जैसे ही आर्मेचर वाइंडिंग में धारा चलेगी तो वह भी अपना एक चुंबकीय क्षेत्र बनाएगी और लेंज के नियम अनुसार— वह चुंबकीय क्षेत्र, फील्ड फ्लक्स का विरोध करेगा जिसके कारण मेन फील्ड का फ्लक्स प्रभावित होगा और कम फिल्ड फ्लक्स के कारण जनरेटर कम वोल्टेज बनाने लगेगा क्योंकि कुछ फील्ड फ्लक्स अपने मार्ग से आर्मेचर रिएक्शन के कारण विक्षेपित हो जाएंगे। अतः भार पर जुड़ा जनरेटर का ग्राफ नत (झुका हुआ) होता है।

पृथक उत्तेजित जनरेटर का उपयोग (Uses Of Sepretly Excited Generator):— इस जनरेटर का उपयोग बहुत कम स्थानों पर किया जाता है। क्योंकि इसको चालू करने के लिए एक अलग से एक्साइटेशन सप्लाई की जरूरत पड़ती है। इसलिए इसका उपयोग (special application) स्पेशल एप्लीकेशन के लिए किया जाता है जैसे की—
(A) जहाज में डीसी सप्लाई की आपूर्ति करने के लिए।
(B) एयरक्राफ्ट में डीसी सप्लाई की आपूर्ति करने के लिए।
(C) पृथक उत्तेजित जनरेटर का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग और बैटरी चार्जिंग कार्य के लिए भी किया जाता है।
(D) इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोग वार्ड लियोनार्ड विधि (ward leonard method) में किया जाता है। वार्ड लियोनार्ड विधि डीसी मोटर की गति नियंत्रण की विधि है। जिसमें मुख्य जनरेटर के रूप में सेपरेटली एक्साइटेड जनरेटर का प्रयोग किया जाता है।

पृथक उत्तेजित जनरेटर की हानियां (Disadvantage Of Sepretly Excited Generator):— पृथक उत्तेजित जनरेटर का मुख्य दोष यह है की इसे अलग से एक्साइटेड करने की जरूरत पड़ती है।
एक्साइटेशन के लिए बैटरी की अतिरिक्त आवश्यकता होती है, अतः इस जनरेटर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में कठिनाई होती है। इस जनरेटर का मूल्य भी अधिक होता है।

पृथक उत्तेजित जनरेटर का लाभ (Advantage Of Sepretly Excited Generator):— पृथक उत्तेजित जनरेटर का मुख्य लाभ यह है की इससे वोल्टेज में परिवर्तन आसानी से किया जा सकता है अतः इस जनरेटर से मनचाहा वोल्टेज प्राप्त किया जा सकता हैं। इसका दूसरा लाभ यह है की इस जनरेटर के फील्ड में अवशिष्ट चुंबकत्व न होने पर भी वोल्टेज बनाने में सक्षम होता है।

पृथक उत्तेजित जनरेटर से संबंधित प्रश्न–उत्तर (MCQ On Sepretly Excited Generator)

प्रश्न:— बिना अवशिष्ट चुंबकत्व के वोल्टेज उत्पन्न करने वाले जनरेटर को क्या कहा जाता है?
(A) सेपरेटली एक्साइटेड जनरेटर (Sepretly Excited Generator)
(B) डीसी सीरीज जनरेटर (DC Series Generator)
(C) डीसी कंपाउंड जनरेटर (DC Compund Generator)
(D) इनमे से कोई नहीं
उत्तर:— A

प्रश्न:— पृथक उत्तेजित जनरेटर का लोड विशेषता वक्र किसके–किसके बीच बनता है?
(A) अवशिष्ट चुंबकत्व और वोल्टेज ड्रॉप के बीच
(B) टर्मिनल वोल्टेज और टर्मिनल धारा के बीच
(C) टर्मिनल वोल्टेज और लोड करंट के बीच
(D) इनमे से कोई नहीं
उत्तर:— C

प्रश्न:— पृथक उत्तेजित जनरेटर का चुम्बकीय विशेषता वक्र किसके–किसके बीच बनता है?
(A) फील्ड फ्लक्स और ईएमएफ
(B) फील्ड करंट और ईएमएफ
(C) केवल B सही है
(D) A और B दोनो सही है
उत्तर:— D

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