धात्विक दिष्टकारी क्या होता हैं? | Metal Rectifier Working Principle

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धात्विक दिष्टकारी क्या होता हैं? (Metal Rectifier)

इसमें किसी धातु (metal) का प्रयोग किया जाता है। दिष्टकारी या रेक्टिफायर एक ऐसी युक्ति होती है जो एसी को डीसी में परिवर्तित करती है।
धात्विक दिष्टकारी दो प्रकार की होती है।
(1) कॉपर ऑक्साइड मेटल रेक्टिफायर
(2) सेलेनियम मेटल रेक्टिफायर

1. कॉपर ऑक्साइड मेटल रेक्टिफायर (Copper Oxide Metal Rectifier):— इसमें कॉपर की आक्सीकृत प्लेट होती है। इसमें दो पर्त होती है। एक पर्त कॉपर की तथा दूसरी पर्त क्यूप्रस ऑक्साइड की होती है। क्यूप्रस ऑक्साइड की कोटिंग कॉपर पर की जाती अतः क्यूप्रस ऑक्साइड की पर्त तुलनात्मक रूप से पतली और कॉपर की पर्त तुलनात्मक रूप से मोटी होती है।
Copper Oxide Metal Rectifier
Metal Rectifier Working Principle

इसमें एक टर्मिनल कॉपर की तरफ से और एक टर्मिनल क्यूप्रस ऑक्साइड की तरफ से निकाल दिया जाता दोनो टर्मिनल मिलकर PN जंक्शन की तरह व्यवहार करते है।
यदि कॉपर से लेकर कॉपर ऑक्साइड की तरफ जाए तब प्रतिरोध का मान कम होता है और यह फॉरवर्ड बायस (forward bias) की तरह कार्य करता है।
  • यदि कॉपर ऑक्साइड से लेकर कॉपर की ओर जाए तो उच्च प्रतिरोध होगा और यह रिवर्स बायस (reverse bias) की तरह कार्य करेगा।
  • अर्थात जिस तरफ धारा का संचालन होता है उसी का नाम देते है।
  • फॉरवर्ड बायस में प्रतिरोध कम होता है, तथा रिवर्स बायस में प्रतिरोध उच्च होता है।

कॉपर ऑक्साइड मेटल रेक्टिफायर की दक्षता 78% तक होती है।

2. सेलेनियम मेटल रेक्टिफायर (Selenium Metal Rectifier):— सेलेनियम अर्धचालक की श्रेणी में आता है। एक सेलेनियम मेटल रेक्टिफायर में 4 परते (four layers) होती है। इसमें एक धातु की पर्त होती है तथा इस धातु की पर्त पर निकिल या कैडमियम की कोटिंग होती है। ये दोनो मिलकर p क्षेत्र (p type) बनाते है।

एन क्षेत्र (n types) अर्थात कैथोड के लिए सेलेनियम का प्रयोग किया जाता है और इस सेलेनियम पर टीन की कोटिंग की गई होती है।
Selenium Metal Rectifier Working Principle
Selenium Metal Rectifier

सबसे पहली परत एल्यूमीनियम या स्टील की होती है। तथा इस पर निकील या कैडमियम की कोटिंग होती है। यह सबसे बड़ी परत होती है। इसके बाद सेमीकंडक्टर पर्त होती है जो सेलेनियम की बनी होती है। तथा इस सेलेनियम पर टीन की कोटिंग होती है। इस प्रकार सेलेनियम मेटल रेक्टिफायर में कुल 4 परते होती है।

जब एल्यूमीनियम से अर्थात मुख्य परत से सेलेनियम की तरफ जायेगे तो प्रतिरोध का मान कम होता है और यह फॉरवर्ड बायस की भांति कार्य करता है।
जब सेलेनियम से एल्यूमीनियम की तरफ जायेगे तब प्रतिरोध का मान उच्च होता है और यह रिवर्स बायस की तरह कार्य करता है।

FAQ:—

प्रश्न— फॉरवर्ड बायस में प्रतिरोध का मान कम होता है या अधिक होता है?
उत्तर— कम होता है
प्रश्न— रिवर्स बायस में प्रतिरोध का मान कम होता है या अधिक होता है?
उत्तर— अधिक होता है
प्रश्न— सेलेनियम मेटल रेक्टिफायर में एल्यूमीनियम या स्टील की परत पर किसकी कोटिंग की जाती है?
उत्तर— निकील या कैडमियम
प्रश्न— सेलेनियम मेटल रेक्टिफायर में सेलेनियम पर किसकी कोटिंग की जाती है?
उत्तर— टीन की

मेटल रेक्टिफायर की कार्यप्रणाली (Metal Rectifier Working Principle):— इस आर्टिकल में मेटल रेक्टिफायर के प्रकार और उनकी कार्यप्रणाली के बारे में बताया गया इसी तरह और भी इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक्स के बारे में जानकारी के लिए इलेक्ट्रिक टॉपिक ब्लॉग को जरूर फॉलो करे और अपने दोस्तो के साथ शेयर करे।

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