परमाणु संरचना का नियम | Atomic Structure का नियम | एटॉमिक स्ट्रक्चर इन हिन्दी

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परमाणु संरचना का नियम (Atomic Structure In Hindi)— परमाणु संरचना का नियम के अनुसार– "एक परमाणु सामान्य अवस्था में आवेश रहित होता है क्योंकि उसमें प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन की संख्या बराबर होती है अतः परमाणु में कुल धन आवेश कुल ऋण आवेश के तुल्य होता है।"
Atomic Structure
Atomic Structure In Hindi

परमाणुओ में विद्यमान कक्षाओं को K, L, M, N, O, P, Q अक्षरों से व्यक्त किया जाता है। इनमें से प्रथम चार कक्षाओ में इलेक्ट्रॉन का वितरण 2n² के अनुसार होता है। जहा n= कक्षा की संख्या है।
किसी कक्षा में 2n² सूत्र के द्वारा निर्धारित संख्या में इलेक्ट्रॉन पूर्ण हो जाने के बाद ही दूसरी कक्षा में इलेक्ट्रॉन जाते है।
अन्तिम कक्षा में 8 से अधिक और उससे पहली कक्षा में 18 से अधिक इलेक्ट्रॉन्स नही होते है।
किसी कक्षा में 8 इलेक्ट्रॉन पूर्ण हो जाने के बाद ही नई कक्षा का निर्माण प्रारंभ हो सकता है।
इलेक्ट्रॉन वितरण का नियम—
K= 1        2×1²= 2
L= 2        2×2²= 8
M= 3       2×3²= 18
N= 4       2× 4²= 32
O= 5       2× 5²= 50
P= 6        2×6²= 72
Q= 7       2×7²= 98

Note—  किसी भी अंतिम कक्षा में बची हुई मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या ही पदार्थ की प्रकृति का निर्धारण करता है कि पदार्थ चालक, अर्धचालक या कुचालक है।
जैसे— सिलिकॉन 14 = 2,8,4 चुकी तीसरी कक्षा में 18 इलेक्ट्रॉन्स होने चाहिए थे लेकिन 4 मुक्त इलेक्ट्रॉन घूम रहे है इसलिए यह अर्धचालक है।

हम नीचे दिए गए मुक्त इलेक्ट्रॉन्स की संख्या दिए गए क्रम के अनुसार होने पर चालक, अर्धचालक या कुचालक का निर्धारण करते है।
चालक— 1, 2, 3, 5, 6, 7
अर्धचालक— 4
कुचालक— 8

उपकक्षा (Sub Shell or Sub Orbits)— कक्षाओ में इलेक्ट्रॉन्स का वितरण s, p, d, f के अनुसार होता है।
s= 2
p= 6
d= 10
f= 14

प्रश्न— एक परमाणु में सब शेल (sub shell) कौन–कौन से होते है?
उत्तर— s, p, d, f

चालक (Conductor)— "ऐसा पदार्थ जिसमे धारा आसानी से प्रवाहित हो सके चालक कहलाता है।"
या
"ऐसा पदार्थ जिसमे मुक्त इलेक्ट्रॉन की अधिकता हो चालक कहलाता है।"
चालक की विशेषता— एक आदर्श चालक (ideal conductor) या पूर्ण चालक (complete conductor) का प्रतिरोध शून्य होता है।
चालक का प्रतिरोध शून्य होना चाहिए।
  • चालक का ताप गुणांक धनात्मक ताप गुणांक (positive temperature coefficient or ptc) होना चाहिए।
  • चालक में प्रतिरोध व ताप के बीच वक्र रैखिक (linear) होता है।
  • सबसे ज्यादा चालकता चांदी की होती है।
चालकता घटते क्रम में—
चांदी> तांबा> सोना> एल्यूमिनियम
  • उपयोग के अनुसार सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला चालक पदार्थ तांबा है।
  • तांबे की अपेक्षा एल्यूमिनियम में 60% चालकता होती है। अर्थात यदि तांबे से 10 एम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है तो एल्यूमिनियम से 6 एम्पियर धारा प्रवाहित होगी।
  • अगर एल्यूमिनियम से भी धारा 10 एम्पियर ले जाना है तो एल्यूमिनियम का साइज (मोटाई) लगभग .5mm बढ़ा देगे। यानी अगर 1mm का कॉपर वायर प्रयोग करेंगे 10 एम्पियर में तो  एल्यूमिनियम को 10 एम्पियर के लिए 1.5mm प्रयोग करेंगे।
  • एल्यूमिनियम का वजन, कॉपर का आधा (50%) होता है।
  • यदि समान लम्बाई के कॉपर वायर में 1Ω का प्रतिरोध है तो समान लम्बाई के नाइक्रोम पर 60Ω का प्रतिरोध आयेगा।
  • हाई रजिस्टिविटी (high resistivity) के लिए नाइक्रोम का प्रयोग करते है।
20° C पर μ Ω/m विशिष्ट प्रतिरोध—
Nichrome Resistance
  • टंगस्टन और नाइक्रोम दोनो में इंडक्टेंस (inductance) को सदैव नगण्य (0) माना जाता है। यह दोनो ही शुद्ध प्रतिरोधी परिपथ की श्रेणी में आते है इसलिए इनका पावर फैक्टर (power factor) इकाई, 1 (unity) होता है।
  • टंगस्टन लैंप और नाइक्रोम हीटर क्वायल का पावर फैक्टर इकाई (1) होता है।
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