डीसी का ट्रांसमिशन कैसे करते है? | DC Transmission | डीसी ट्रांसमिशन कैसे करते है

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डीसी का ट्रांसमिशन कैसे करते है? (DC Transmission In Hindi)— डीसी का ट्रांसमिशन करने के लिए सबसे पहले जेनरेटेड एसी (generated ac) को स्टेप अप किया जाता है। (ट्रांसफॉर्मर के द्वारा हाई वोल्टेज एसी किया जाता है)।
DC Transmission
DC Transmission System In Hindi

इसके बाद कनवर्टर (converter) के माध्यम से (रेक्टिफायर या अन्य) हाई वोल्टेज एसी (high voltage ac) को डीसी (dc) में कन्वर्ट किया जाता है। इस कनवर्डेड डीसी (converted dc) को हाई वोल्ट डीसी (high volt dc) कहा जाता है। इस हाई वोल्ट डीसी को आगे ट्रांसमिट (transmitt) किया जाता है तथा रिसीविंग एंड (receiving end) पर एक इनवर्टर के माध्यम से हाई वोल्ट डीसी को एसी में बदल लिया जाता है। इसके बाद एक ट्रांसफार्मर के माध्यम से इस एसी को स्टेप डाउन (step down) कर लिया जाता है और इस स्टेप डाउन की गई एसी को आगे भेज दिया जाता है।
याद रखिए:— वितरण सदैव एसी का किया जाता है डीसी का नही।
DC Transmission System
DC Transmission System 

सामान्यतः डीसी ट्रांसमिशन लाइन तीन प्रकार की होती है, जिनका विवरण नीचे दिया गया है।

1. मोनोपोलर डीसी ट्रांसमिशन (Monopolar DC Transmission)— मोनोपॉली (monopoly) का अर्थ होता है "एकाधिकार"।
सामान्यतः इसमें नेगेटिव ध्रुवता (negative polarity) वाला एक तार (wire) उपयोग किया जाता है। रिटर्न तार (return wire) के रूप में ग्राउंड या सी (ground or sea) कार्य करता है।

2. बाइपोलर डीसी ट्रांसमिशन (Bipolar DC Transmission)— बाइपोलर का अर्थ होता है द्विध्रुवता या दो ध्रुव अर्थात धनात्मक और ऋणात्मक (positive and negative)।
इस लाइन में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों तार होते हैं। यदि लाइन बहुत ज्यादा वोल्टेज वाली हो अर्थात E.H.T है तो दो धनात्मक तार समान्तर (2 positive wire parallel) एक साथ भेजेंगे जिससे करंट डिवाइड (current devide) हो जाए। और यदि कम वोल्टेज का ट्रांसमिशन है तो एक पॉजिटिव और एक नेगेटिव से भेज सकते हैं। सर्वाधिक उपयोग इसी विधि का किया जाता है। दोनों एंड (both end) पर सेंडिंग और रिसिविंग एंड (sending end and receving end) मध्य बिंदु (middle point) या जंक्शन बिंदु (junction point) ग्राउंड (ground) किया जाता है।

3. होमोपोलर डीसी ट्रांसमिशन (Homopolar DC Transmission)— डीसी ट्रांसमिशन की इस विधि में अनेक वायर होते हैं।
इसमें दो या दो से अधिक वायर होते हैं और सभी वायर नेगेटिव ध्रुवता (negative polarity) वाले होते हैं। रिटर्न वायर (return wire) के रूप में ग्राउंड का उपयोग किया जाता है।
विशेषता— इसमें अनेक चालक होते हैं इसलिए लोड कम होता है अतः कम इंसुलेशन की आवश्यकता होती है। इसमें कोरोना हानि (corona loss) बहुत कम होती है।

महत्वपूर्ण बिन्दुओ को पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें।

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